कुनकुरी भूमि । पर्यावरण मित्र मंडल जशपुर के तत्वावधान में जलवायु परिवर्तन, जल संकट ,प्राकृतिक आपदाओं एवं जैव विविधता के विभिन्न संवेदनशील पहलुओं पर चर्चा के लिए शुक्रवार को शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुनकुरी में एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई,इस कार्यशाला में 550 से अधिक स्टूडेंट्स शामिल हुए ।
कार्यशाला में स्कूली छात्रों को संबोधित करते हुए विशेषज्ञ एवं पर्यावरण मामलों के जानकार एस. पी .यादव ने कहा कि वर्तमान परिवेश चुनौतियों का है ,संसाधनों के अतिदोहन एवं जैव विविधता के क्षय के कारण पृथ्वी का संतुलन बिगड़ गया है ,यहां वनस्पतियों एवं जीवों के अस्तित्व पर खतरा है ,मानव ने प्राकृतिक पर्यावरण के आधारभूत तत्वों की अनदेखी करके धरती को विनाश के कगार पर ला दिया है ,कहीं परिस्थितियां ऐसी न हो कि हमे अन्य ग्रहों पर जीवन के संभावनाएं तलाशने पड़े। जल संकट का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि जल संकट की समस्या दिनों दिन विकराल होती जा रही है। जल के प्राकृतिक स्रोत एवं नदियाँ समय पूर्व सूख रही हैं ।
एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां भूमिगत जल 30 मीटर से भी नीचे जा चुका है ,आने वाले दिनों में यह समस्या और विकराल होगी ।केंद्रीय जल बोर्ड ने जशपुर जिले को रेड जोन में शामिल किया है। उन्होंने स्टूडेंट्स को जल के विवेकपूर्ण उपयोग एवं सरंक्षण की दिशा में कार्य करने के लिए कहा।एवं वर्षा जल संग्रहण के आइडिया भी शेयर किए।
उन्होंने स्टूडेंट्स को बताया कि जल प्रकृति से मिला अनमोल उपहार है ,इसे विश्व की संपूर्ण प्रयोगशालायें मिलकर नहीं बना सकती ,उन्होंने जैव विविधता के सरंक्षण के लिए स्टूडेंट्स को अपने परिवेश में 1 पौधा लगाकर उसकी सुरक्षा के लिए प्रेरित किया।
कार्यशाला में पर्यावरण एवं सामाजिक कार्यकर्ता अरुण शर्मा ने स्टूडेंट्स को बताया कि सिमटते वनों के क्षेत्रफल के कारण वर्षा की अनियमितता एवं अनिश्चितता एक समस्या बन चुका है ,जिसके कारण कई प्राकृतिक आपदाएं घटित हो रही हैं ,उन्होंने कहा कि पेडों की कटाई के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है,वनस्पतियों एवं वन्यजीवों के अस्तित्व पर खतरा है ,जीवों के आश्रय स्थल गायब हो रहे हैं ।उन्होंने जैव विविधता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए स्टूडेंट्स को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक किया।
कार्यशाला में सोशल एक्टिविस्ट एवं पर्यावरण कार्यकर्ता मुरारी गुप्ता ने स्टूडेंट्स से कहा कि जल संकट एवं जैव विविधता के ह्रास के लिए मानवीय गतिविधियां एवं अतिदोहन प्रमुख कारक हैं, लोगों को अपने नैतिक जिम्मेदारियों को समझना होगा। उन्होंने कहा कि वे प्रकृति के सरंक्षण एवं जल के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए समुदाय को प्रेरित करें।इस मौके पर स्टूडेंट्स ने भी जल सरंक्षण एवं जलवायु परिवर्तन पर अपने विचार दिए।
पर्यावरण विदों द्वारा स्टूडेंट्स को अपने परिवेश में पौधरोपण के लिए 100 पौधे वितरित किए गए
संस्थान के प्राचार्य हेलेन मंजूषा ने स्टूडेंट्स एवं शिक्षकों को पर्यावरण सरंक्षण की मुख्य धारा से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।इस मौके पर संस्था के प्राचार्य सहित विद्यालय के शिक्षक उपस्थित रहे।