Type Here to Get Search Results !

जलवायु परिवर्तन एवं जल संकट पर चर्चा : विशेषज्ञों ने कहा कहीं परिस्थितियां ऐसी न हो कि हमें अन्य ग्रहों पर जीवन के संभावनाएं तलाशने पड़े.




 जलवायु परिवर्तन, जल संकट ,प्राकृतिक आपदाओं एवं जैव विविधता के विभिन्न संवेदनशील पहलुओं पर चर्चा के लिए रविवार को स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय कुनकुरी में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यशाला में स्कूली छात्रों को संबोधित करते हुए विशेषज्ञ एवं पर्यावरण मामलों के जानकार एस. पी .यादव ने कहा कि वर्तमान परिवेश चुनौतियों का है ,संसाधनों के अतिदोहन एवं जैव विविधता के क्षय के कारण पृथ्वी का संतुलन बिगड़ गया है ,यहां वनस्पतियों एवं जीवों के अस्तित्व पर खतरा है ,मानव ने प्राकृतिक पर्यावरण के आधारभूत तत्वों की अनदेखी करके धरती को विनाश के कगार पर ला दिया है ,कहीं परिस्थितियां ऐसी न हो कि हमे अन्य ग्रहों पर जीवन के संभावनाएं तलाशने पड़े। जल संकट का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि जल संकट की समस्या दिनों दिन विकराल होती जा रही है। जल के प्राकृतिक स्रोत एवं नदियाँ समय पूर्व सूख रही हैं । 



एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां भूमिगत जल 30 मीटर से भी नीचे जा चुका है ,आने वाले दिनों में यह समस्या और विकराल होगी ।केंद्रीय जल बोर्ड ने जशपुर जिले को रेड जोन में शामिल किया है। उन्होंने स्टूडेंट्स को जल के विवेकपूर्ण उपयोग एवं सरंक्षण की दिशा में कार्य करने के लिए कहा।

बढ़ते हुए प्रदूषणों पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि लगातार हो रहे विभिन्न प्रदूषणों के कारण अब खुली हवा में सांस लेना भी दूभर हो गया है ,रेडियोधर्मी विकिरणों के उत्सर्जन के कारण इकोसिस्टम का संतुलन बिगड़ चुका है ।

उन्होंने स्टूडेंट्स को बताया कि जल प्रकृति से मिला अनमोल उपहार है ,इसे विश्व की प्रयोगशालायें मिलकर नहीं बना सकती ,उन्होंने जैव विविधता के सरंक्षण के लिए वर्षाकाल में पौधरोपण के लिए प्रेरित किया ।



कार्यशाला में पर्यावरणविद अरुण शर्मा ने स्टूडेंट्स को बताया कि सिमटते वनों के क्षेत्रफल के कारण वर्षा की अनियमितता एवं अनिश्चितता एक समस्या बन चुका है ,जिसके कारण कई प्राकृतिक आपदाएं घटित हो रही हैं ,उन्होंने कहा कि पेडों की कटाई के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रहा है,वनस्पतियों एवं वन्यजीवों के अस्तित्व पर खतरा है ,जीवों के आश्रय स्थल गायब हो रहे हैं ।उन्होंने जैव विविधता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए स्टूडेंट्स को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक किया। उन्होंने बताया कि जल संकट एवं जैव विविधता के ह्रास के लिए मानवीय गतिविधियां एवं अतिदोहन प्रमुख कारक हैं, लोगों को अपने नैतिक जिम्मेदारियों को समझना होगा। उन्होंने स्टूडेंट्स को प्रकृति से निकटता बनाए रखने के लिए कहा।इस दौरान उन्होंने स्टूडेंट्स को वर्षा जल संग्रहण के आइडिया भी शेयर किए।।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
"
"