पत्थलगांव । जशपुर जिले के पत्थलगांव में भारतमाला सड़क परियोजना का लेकर आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम में लोगों ने जमकर विरोध कर रहे है । बुधवार को कछार ग्राम पंचायत भवन परिसर में भारतमाला सड़क परियोजना को लेकर भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जनसुनवाई किया गया, जिसमें ग्रामीणों और कांग्रेसी जनप्रतिनिधियों ने इसका जमकर विरोध किया। दरअसल भारतमाला सड़क परियोजना केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है ।
भारतमाला सड़क परियोजना के तहत बनने वाली सड़क की लंबाई पूरे छत्तीसगढ़ में 670 किलोमीटर है, रायपुर से धनबाद तक बनने वाले इस इकोनॉमिक कॉरिडोर के अंतर्गत जशपुर जिले में सैंकड़ों किलोमीटर तक फोरलेन सड़क का निर्माण किया जाना है, आपको बता दें कि इस परियोजना के तहत कोरबा के उरगा से लेकर पत्थलगांव तक 87 किलोमीटर फोरलेन सड़क का निर्माण किया जाना है जिसे लेकर आज पत्थलगांव के ग्राम पंचायत कछार में जनसुनवाई का आयोजन किया गया था जिसमें जिले के अपर कलेक्टर आइ एल ठाकुर, पर्यावरण विभाग के एस के वर्मा, पत्थलगांव एसडीएम आर एस लाल, तहसीलदार रामराज सिंह, नायाब तहसीलदार जानकी काठले सहित तमाम आलाधिकारी मौजूद रहे, इस परियोजना में पत्थलगांव क्षेत्र से प्रभावित 45 में 43 किसानों ने अपना विरोध दर्ज किया, वहीं 2 लोगों ने इस परियोजना का समर्थन भी किया है। भारतमाला सड़क परियोजना को लेकर कांग्रेसी नेताओं ने भी अपना विरोध जताया है, उनका कहना है कि इस परियोजना से सैकड़ों किसान बेघर हो जाएंगे उनसे उनकी जमीन मकान छीन जाएंगे, इस परियोजना के कारण लाखों पेड़ काट दिए जाएंगे और इससे पर्यावरण भी प्रभावित होगा, कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि भारतमाला सड़क परियोजना के बजाय राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) को ही फोरलेन कर दिया जाय इसके लोगों के जमीन मकान सुरक्षित रहेंगे और जनता के करोड़ों रुपये जो इस परियोजना में सरकार खर्च करने जा रही है वह बच जाएगी। भारत माला सड़क परियोजना के तहत प्रशासन ने सर्वे करा कर भूमि अधिग्रहण भी करा चुका है जिसकी मुवावजा राशि भी तय कर दी गयी है। इस दौरान शामिल हुए किसानों ने बैनर पोस्टर के माध्यम से जनसुनवाई का विरोध किया किसानों का साफ तौर पर कहना है कि केन्द्र सरकार भारत माला सड़क परियोजना को बन्द कराये
क्योंकि इस भारत माला सड़क बनने से उनकी जमीन छीन जाएगी और वे भूमिहीन हो जाएंगे मुवावजा सिर्फ एक बार मिलेगा और उससे उनकी भविष्य नही सुधर पाएगी लिहाज़ा उनके पास जो भूमि है उनके पास खेती ही एक मात्र साधन है जिसमे वे अपना जीवन यापन करते है भूमि ही नही रहेगी तो खेती कहां से कर पाएंगे क्षेत्र में कई किसान ऐसे है जो उनका घर तक इस बनने वाले सड़क पर अधिग्रहण हो रहा है। गाँव के ऐसे कई किसान भी है जिनके पास कुछ ही भूमि बची है उसे भी सरकार सड़क बनाने के लिए लेना चाहती अगर सड़क में उनकी जमीन चली गयी तो न घर होगा न जमीन होगा तो हम कहाँ जाएंगे इस लिए हम इस जनसुनवाई का विरोध कर रहे है भारत माला सड़क परियोजना में किसानों के भूमि के साथ कई सारे पेड़ पौधें भी आ रहे है जो सड़क बनने पर काटे जाएंगे और इससे पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा पेड़ कट जाएगा तो गाँव के लोगो को शुद्ध हवा पानी और ऑक्सीजन भी नही मिलेगा जिससे मानव जीवन पर सीधा इसका असर होगा । बहरहाल इस जनसुनवाई में कई ग्रामीण किसान इस भारत माला सड़क परियोजना के विरोध करते दिखे है । कई ग्रामीणों ने प्रशासन पर भी आरोप लगाया कि उनको इस जनसुनवाई के बारे में कोई सूचना नही था और न ही उन्हें प्रशासन से इसके बारे में किसानों को इसकी जानकारी मिली तक नही थी जिसके कारण वे लोग इस जनसुनवाई का हिस्सा नही बन सके । इस परियोजना के लिए जनसुनवाई में पहुंचे पर्यावरण विभाग के अधिकारी एस के वर्मा ने बताया कि वे इस मामले में स्थानीय लोगों की राय जानने पहुंचे थे और जनसुनवाई में जो भी हुआ उसे अपने उच्चाधिकारियों तक पहुंचाएंगे और आगे जो भी दिशानिर्देश प्राप्त होगा उसके अनुसार कार्यवाही करेंगे, इस मामले में जिले के अपर कलेक्टर से जब मीडिया ने बात करनी चाही तो उन्होंने इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। बहरहाल इस पूरे परियोजना को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और कांग्रेसी नेताओं के द्वारा जमकर विरोध किया जा रहा है चूंकि इस सड़क मार्ग के बनने से आवागमन के साथ साथ क्षेत्र का विकास भी होने लगेगा लेकिन अपने राजनीतिक स्वार्थ के कारण भी कांग्रेसी नेता इसका विरोध करते नजर आ रहे हैं जो किसी से छुपी नहीं है, फिलहाल इस परियोजना को आगे बढ़ाने के किये केंद्र सरकार क्या निर्णय लेती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।