कांसाबेल ब्लाक में स्थित विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय जहां से पूरा शिक्षा विभाग का काम होता है।ठीक वहीं बगल में स्थित जनपद प्राथमिक विद्यालय जो सन 1952 से संचालित है आज उस स्कूल का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है।आपको बता दें कि इस स्कूल में दो टीचर एक स्वीपर और एक रसोइया पदस्थ हैं।और इन्होंने तीन बच्चो का जिम्मेदारी अपने मजबूत कंधो पर ले रखी हैं।आपको बता दे की इस स्कूल में तीन रूम है जहां दो रूम में पानी भरा हुआ है। जिसके कारण एक या जो बच्चे रोज आते उनको सामने बरामदा में बैठाया जाता है।बिना ब्लैकबोर्ड बिना पेंसिल चाक के यह स्कूल संचालित है।
तीन बच्चों की हकीकत
जनपद प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 में एक भी बच्चा नहीं है 2 री में भी कोई नही 3 री, 4 चौथी और 5 वी. में एक एक बच्चा का नाम दर्ज हुआ है।और जब हमने इन बच्चों से इनके पिताजी का नाम पूछा तो हम भी शर्मिंदा हो गए,तीन बच्चों में दो बच्चे वही पढ़ाने वाले टीचर के हैं। और एक बच्चा रसोइया की है। ये जान कर आपका मन बहुत से सवाल खड़े हो रहे होंगे।
जब वहां के टीचर से बात चीत किया तो पता चला की यह स्कूल में रहना हमारी मजबूरी है। स्कूल को चालू रखने की मजबूरी में हमे अपने स्वयं के बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है। यहां पर स्वयं हमारे बच्चों को अच्छा पढ़ाई का मौहौल नहीं मिल पा रहा है। इसलिए तीनों विद्यार्थियों और टीचर , रसोईया को दूसरे स्कूल में अटैच करने को लेकर कांसाबेल शिक्षा अधिकारी को बहुत बोल रहे हैं। मगर हमारी नही सुन रहे हैं। हमे दूसरे जगह भेज दें तो ताकि अधिक स्टूडेंट को पढ़ने में हमारा भी मन लगता और बच्चें भी अच्छे से पढ़ पाएंगे।अब आप ही बताओ कि एक दो बच्चे कैसे ? मन लगा के पढ़ाई कर पाएंगे।